When i was sat on wall of my hostel's roof lonely. In the black night. timing may be 01:00 AM. that time i wrote this poem....
रात के अंधेरो में बैठे,
आज फिर से यह दिल,
न जाने कहाँ खो गया,
यह सुने सुने रास्ते,
न जाने कहाँ मुझे बुला रहे,
इन रास्तो पे,
न कोई आता जाता,
फिर यह नजरे किसे ढुंढती....
यह ठंडी ठंडी फिजाये,
न जाने किसकी याद दिला रही,
यह महकी महकी खुशबू,