12.12.12 को राजस्थान सरकार के 4 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सरकार
अपनी उपलब्धिया गिना रही हैं, कह रह हैं कि सरकार ने गरीब परिवारो को 2
रूपये किलो गेहूँ दिये, पर जनाब उन गेहूँ से रोटी बनाने के लिये केरोसिन
के दाम बढा दिये उसका क्या? फिर ये गेहूँ क्या भाव पडे उन गरीब परीवारो
को? सरकार बस जनता को चुटिया बनाना जानती है। दो दिन पहले का उदाहरण ही
ले लो, मोइली साहब ऐलान करते है कि 6 की जगह 9 सिलेण्डर मिलेगें और अगले
ही दिन केन्द्र से बयान आता हैं कि सिलेण्डर के दाम 109 रूपये बढा दिये
जायेगें क्यूकिं सरकार को 9000 करोङ का घाटा हो रहा है,
इसका मतलब ये हुआ
कि सरकार ने पूरी ठान ली हैं कि जनता के कपडे कैसे फाडे जाये। मैं तो
कहता हूँ कि सरकार को घाटे कि इतनी चिन्ता हैं तो 32000 करोड के कोयले
घोटले में 9000 करोड को कही adjust कर ले कि फरक पेन्दा है...सरकार भी
खुश, जनता भी खुश। कुल मिलाकर बात यह हैं कि जर्मन हिटलर की आत्मा सरकार
में आ गयी हैं जो मर्जी आये वो कर लिया....इस वक्त देश की जनता क्या
परेशान..मैं आपको 10 दिन पहले की घटना सुनाता हुँ कि मैं एक गली से गुजर
रहा था कि एक कुत्ता मुझे देखकर भौंकने लगा पहले तो मुझे कुछ समझ में
नहीं आया पर थोडी देर में तस्वीर साफ हो गयी..जनाब इसमें कुत्ते की कोई
गलती नहीं थी, पूरी गलती हमारी ही थी..दरअसल हमनें सफेद कुर्ता-पायजामे
पहन रखे थे और सिर पे सफेद टोपी लगा रखी थी..यह हाल हैं अपने देश का..अब
तो कुत्ता भी समझने लग गया कि हर 5 साल में अपनी गली में सफेद
कुर्ता-पायजामे और सफेद टोपी में एक बडा चोर आता हैं, जो लोगो के सामने
हाथ जोडकर चोरी करने की अनुमति ले जाता हैं।
अपनी उपलब्धिया गिना रही हैं, कह रह हैं कि सरकार ने गरीब परिवारो को 2
रूपये किलो गेहूँ दिये, पर जनाब उन गेहूँ से रोटी बनाने के लिये केरोसिन
के दाम बढा दिये उसका क्या? फिर ये गेहूँ क्या भाव पडे उन गरीब परीवारो
को? सरकार बस जनता को चुटिया बनाना जानती है। दो दिन पहले का उदाहरण ही
ले लो, मोइली साहब ऐलान करते है कि 6 की जगह 9 सिलेण्डर मिलेगें और अगले
ही दिन केन्द्र से बयान आता हैं कि सिलेण्डर के दाम 109 रूपये बढा दिये
जायेगें क्यूकिं सरकार को 9000 करोङ का घाटा हो रहा है,
इसका मतलब ये हुआ
कि सरकार ने पूरी ठान ली हैं कि जनता के कपडे कैसे फाडे जाये। मैं तो
कहता हूँ कि सरकार को घाटे कि इतनी चिन्ता हैं तो 32000 करोड के कोयले
घोटले में 9000 करोड को कही adjust कर ले कि फरक पेन्दा है...सरकार भी
खुश, जनता भी खुश। कुल मिलाकर बात यह हैं कि जर्मन हिटलर की आत्मा सरकार
में आ गयी हैं जो मर्जी आये वो कर लिया....इस वक्त देश की जनता क्या
परेशान..मैं आपको 10 दिन पहले की घटना सुनाता हुँ कि मैं एक गली से गुजर
रहा था कि एक कुत्ता मुझे देखकर भौंकने लगा पहले तो मुझे कुछ समझ में
नहीं आया पर थोडी देर में तस्वीर साफ हो गयी..जनाब इसमें कुत्ते की कोई
गलती नहीं थी, पूरी गलती हमारी ही थी..दरअसल हमनें सफेद कुर्ता-पायजामे
पहन रखे थे और सिर पे सफेद टोपी लगा रखी थी..यह हाल हैं अपने देश का..अब
तो कुत्ता भी समझने लग गया कि हर 5 साल में अपनी गली में सफेद
कुर्ता-पायजामे और सफेद टोपी में एक बडा चोर आता हैं, जो लोगो के सामने
हाथ जोडकर चोरी करने की अनुमति ले जाता हैं।
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