छोटा सा सवाल मेरा..
दिल्ली दिलवालो की..
या बलात्कारियो की..
जहाँ सीएम एक औरत..
वहाँ औरतो का ही..
आया समय मनहूस..
आजादी के 65 साल बाद भी..
यह कैसी आजादी है..
जहाँ इज्जत की..
रोज बलि चढती..
पुलिस की अनदेखी में..
भले ही बसो पर से..
काले शीशे,पर्दे हटा दो..
पर क्या बलात्कारी के..
काले दिल से..
पर्दा हटा पाओगे..
सत्ता में बैठे लोग..
विकास का वादा करते..
थू है ऐसे विकास पर..
जब देश की बेटियो का..
विश्वास नहीं बचा..
इंसानियत पर..
मेरी नजर में फांसी..
एक छोटी सजा हैं..
गरम तेल के कढाये में..
डालने का एक अलग ही मजा हैं।