इश्क गजब का शहर हैं..
यहाँ करोडो की भीड हैं..
दिल एक पर आता है..
प्यार करना आता नहीं..
फिर भी किसी अजनबी पर..
प्यार आ जाता हैं..
चल पडते हैं इश्क के सफर पर..
सफर में ही रह जाते हैं..
थामे हाथ लोग कसमें खाते..
कसमें ही जुदा कर देती हैं..
न जाने कितने दिल टुटे..
मिलकर भी कुछ ना मिले..
कुछ दिल ऐसे मिले..
जन्नत में जाकर ही फिर मिले..
कोई रोता उसके लिये..
जो कभी उसका न होता हैं..
गीले तकिये की दास्तान..
कोई हँसकर छुपा देता हैं..
दुनिया दुश्मन इस प्यार की..
आशिक को परवाह..
सिर्फ उसके यार की..
मोहब्बत मिटाने कितने आये..
खुद ही आखिर मिट गये..
प्यार, इश्क, मोहब्बत..
न जाने कितने एहसास हैं..
प्यार ही इंसान की ताकत हैं..
कितनो को जीना सीखा दिया..
पर बहुतो को अन्दर से इसने..
खोखला बना दिया..
..अकेला बना दिया..
2 Responses to “इश्क गजब का शहर हैं..”
Nice lines
nice to.. tanuj
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