किसी हाउसफुल थिएटर
में दर्शक रामसे ब्रदर्स की क्लासिक हॉरर फिल्म देख रहे हैं जिसमें एक चुड़ैल पीछे
से आदमी की गर्दन पकडती है
और लोग डर के मारे काँप जाते है, तभी फिल्म अचानक
रुक जाती है. प्रोजेक्शन रूम में एंट्री होती है नवाजुद्दीन सिद्दीकी की. वो रील
बदलता है. फिल्म दुबारा शुरू होती है. खौफ में डूबी दर्शकों की आँखों पर हवस की
परत चढ़ने लगती है. डर का कम्पन लावा रूपी ज्वाला में परिवर्तित होकर देह को सुखद
एहसास देने लगता है.
दुग्गल भाइयों को इस काम में महारत हासिल है.
बड़ा भाई विक्की दुग्गल(अनिल जॉर्ज) नये कलाकारों के साथ अश्लील फिल्म बनाकर फिल्म
निर्माता पीके(राकेश अस्थाना) को बेचता है और फिल्म वितरक हीरा(मनोश बख्शी) रिलीज़
करता है, तो छोटा भाई सोनू दुग्गल(नवजुद्दीन सिद्दीकी) रीलों में अलग से अश्लील
दृश्य जोड़ने, रीले सप्लाई करने व नईं-नईं तारिकाओ का इन्तजाम करने का काम करता है.
यह वो 80 का दशक था जब मुंबई, बॉम्बे हुआ
करता था. मल्टीप्लेक्स शब्द दूर-दूर तक