दक्षिण भारत के पांडिचेरी का एक बच्चा “पिसीन मोलिटर” उर्फ़ पाई, जिसका नाम उसके
अंकल ने यूरोप के सबसे बड़े स्विमिंग पूल के नाम पर रख दिया क्यूंकि उन्हें तैराकी
का बहुत शौक था| बचपन में स्कूल में उसके नाम ‘पिसीन’ का बहुत मजाक उड़ाया जाता हैं
तो वो स्कूल के सारे ब्लैक-बोर्ड्स पर पाई की वैल्यू लिख कर अपना नाम पाई घोषित कर
दिया| उसके पिताजी पांडिचेरी में चिड़ियाघर के मालिक हैं| उस चिड़ियाघर में तरह-तरह
के कहीं जानवरों के बीच सबसे खतरनाक जानवर हैं, ‘बंगाल टाइगर-रिचर्ड पारकर’|
रिचर्ड पारकर के नाम की कहानी भी पाई की तरह ही एक दम जुदा हैं, जिस शिकारी ने उसे
चिड़ियाघर को बेचा था उसका नाम रिचर्ड पारकर था और बंगाल टाइगर का नाम थिर्स्टी,
लेकिन डॉक्यूमेंट में नाम आपस में बदल गये| थोड़े दिन बाद हालत ऐसे बदल जाते हैं की
उसके परिवार को भारत छोड़कर चिड़ियाघर के जानवरों के साथ कनाडा की यात्रा पर निकलना
पड़ता हैं, लेकिन सफ़र में उनकी मुलाकात होती हैं भयंकर तूफ़ान से| जहाज के नाविक पाई
को एक नाव पे फेंक देते हैं| पूरा जहाज डूब जाता हैं और पाई उस नाव पर एक
लकडबग्गे, एक घायल ज़ेबरा और एक औरंगटाउन के साथ बच जाता हैं| लेकिन पाई की मुसीबत
यही कम नही होने वाली थी, लकडबग्गा घायल ज़ेबरा को मार देता हैं, फिर औरंगटाउन को,
वो पाई को भी मारने वाला होता हैं लेकिन तभी बोट के भीतर छुपा रिचर्ड पारकर
लकडबग्गे को मार गिराता हैं| अब उस नाव पर सिर्फ दो विपरीत प्राणी बचे थे एक पाई
और दूसरा रिचर्ड पारकर और यहाँ से शुरू होता हैं 227 दिनों का सफ़र| शुरुआत में
रिचर्ड पारकर, पाई की जान का दुश्मन होता हैं पर बदलते वक़्त और हालातो के साथ
दोनों दोस्त बन जाते हैं|
फिल्म की
कहानी “ईश्वर पर विश्वास” और “जिंदा रहने की उम्मीद” के इर्द-गिर्द घुमती हैं| 14 साल का पाई हिन्दू, इसाई, मुस्लिम तीनो धर्म में
आस्था रखता हुआ अपनी जिंदगी जीने की
शुरुआत करता हैं| वो सीखता हैं की इश्वर की
बनाई हर चीज़ से प्रेम करो, चाहे वो जंगली जानवर ही क्यूँ ना हो, हर एक जंगली जानवर
में भी आत्मा होती हैं| पाई को बचपन में ईश्वर से आस्था मिली तो यीशु से प्रेम
करने का नजरिया| पूरी फिल्म में पाई हालातो से लड़ते, ईश्वर पर अटूट आस्था रखे और
एक उम्मीद की किरण लिए वापस अपनी ज़िन्दगी की नई शुरुआत करने में सफल होता हैं| मैंने रिलीज़ के पहले जब इसकी कहानी के बारे में सुना था तब
आज से ४ साल पहले नेशनल जियोग्राफिक चैनल के किसी सीरीज के एक एपिसोड(माफ़ कीजियेगा
मुझे ठीक से याद नहीं और इन्टरनेट पर काफी मश्शकत के बाद भी जानकारी नहीं जुटा
पाया) से मिलती जुलती का अंदेशा था, जिसमे एक इंसान का जेट विमान दुर्घटनाग्रस्त
होकर एक सूखे-अकाल से ग्रसित जंगल में गिर जाता हैं और उसके घुटने पुरे तरह जख्मी
हो जाते हैं, जहाँ वो तेज गर्मी में, भूख-प्यास से तडपता १५-२० दिन जंगली जानवारो
से बचता हुआ अपनी ज़िन्दगी की जंग लड़ता हैं, जिसमे आखिर वो सफल होता हैं| फिल्म
देखने के मुझे इस फिल्म की कहानी उस एपिसोड से मिलती जुलती लगी|
14-17 साल के पाई का किरदार निभाया दिल्ली के
सूरज शर्मा ने निभाया हैं, उसने बदलते हालातो के साथ ज़िन्दगी और मौत के बीच की जंग
में काबिले तारीफ़ अभिनय किया हैं| व्यस्क पाई पटेल का किरदार
बॉलीवुड अभिनेता इरफ़ान खान ने निभाया, जिनके अभिनय में किसी तरह के शक की गुंजाइश
नही हैं| उन्हें हाल ही में “पान सिंह तोमर” के लिए राष्ट्रीय पुरुस्कार से नवाजा गया हैं| तब्बू, आदिल
हुसैन, राफे स्पल, गेरार्ड देपर्दिएउ ने भी अच्छा अभिनय किया हैं| एंग ली के बेहतरीन निर्देशन
ने उन्हें एक बार फिर एकेडमी अवार्ड दिला दिया| बैकग्राउंड स्कोर, विसुअल इफेक्ट्स
और सिनेमेटोग्राफी भी अन्त्लाटिक
महासागर के सारे द्रश्य एक बड़े से स्विमिंग पूल में फिल्माए गये हैं|
मेरे कहीं दोस्तों को यह फिल्म इसलिए अच्छी
नही लगी, क्यूंकि उनकी नजर में यह फिल्म सिर्फ पाई की ज़िन्दगी की कहानी हैं जो घर
से जहाज, जहाज से नाव और फिर नाव के सफ़र के बाद वापस घर लौट आता हैं और अपनी नई ज़िन्दगी
शुरू करता हैं| दरअसल यह फिल्म उन लोगो के लिए है जो ज़िन्दगी जीना का जज्बा रखते हैं, जिन्हें पता
हैं जब चारो तरफ से मुसीबत ने घेर रखा हो तो हमे किस तरह से इसका सामना करना चाहिए
या जो हर मुसीबत में धैर्य रखकर डर का सामना करना चाहते हैं| बहुत से लोगो के मुंह
से आपने सुना होगा की उम्मीद रखो, उम्मीद पर दुनिया कायम हैं, यह फिल्म भी हमे कुछ
ऐसा ही कहना चाहती हैं| हम इस दुनिया में ईश्वर पर विश्वास तभी करते हैं जब वो हमे
कोई चमत्कार दिखता हैं, जब एक कैनेडियन लेखक पाई की
ज़िन्दगी पर एक किताब लिखने के लिए पाई से मिलता, व्यस्क पाई पटेल भी उस लेखक से भी यही बात कहता हैं “मेरी कहानी सुनोगे तो शायद आपको ईश्वर पर विश्वास होने
लगेगा”, लेकिन पाई इसके विपरीत था, उसने पहले ईश्वर पर विश्वास किया फिर ईश्वर ने
उसे अपना चमत्कार दिखाया|
इस
फिल्म को देखने के बाद मेरे जेहन में सबसे ज्यादा ख़ुशी इस बात की थी एक और बेहतरीन
फिल्म जिसमे भारतीय कलाकारों ने अभिनय किया और पूरी दुनिया को हिन्दुस्तान की
अदाकारी का लोहा मनवाया| यह एक और ऐसी फिल्म थी जिसको हॉलीवुड ने भारत में बनाया,
बॉलीवुड के कलाकारों के साथ और फिर एकेडेमी अवार्ड्स जीते| लेकिन अभी भी एक ऐसी
फिल्म का इंतज़ार हैं जिसे बॉलीवुड बनाए, बॉलीवुड के कलाकारों के साथ और फिर
एकेडेमी अवार्ड जीते| उम्मीद हैं जल्द ही इंतज़ार खत्म होगा|
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